घर के लिए कितने kW का Solar Plant लगाना है? ऐसे करें सही कैलकुलेशन, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

भारत में तेजी से बढ़ती बिजली दरों और पर्यावरण जागरूकता के चलते सोलर प्लांट लगाना आज के समय की ज़रूरत बन चुका है। लेकिन अगर आपने अपने घर की जरूरत से ज्यादा या कम क्षमता वाला सोलर सिस्टम लगा लिया, तो या तो निवेश बेकार हो जाएगा या बिजली की ज़रूरतें पूरी नहीं होंगी। इसलिए सही कैपेसिटी का चयन सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने से पहले सबसे अहम कदम है।

सबसे पहले जानें आपकी बिजली की खपत

अपने घर की सोलर कैपेसिटी तय करने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आप प्रतिदिन कितनी बिजली खपत करते हैं। इसके लिए आप अपने पिछले 6 महीने या सालभर के बिजली बिल उठाएं और हर महीने की यूनिट (kWh) जोड़कर औसत निकालें। उदाहरण के लिए, अगर आपकी औसत खपत 300 यूनिट प्रति माह है तो आपकी दैनिक खपत लगभग 10 यूनिट मानी जाएगी।

1 किलोवाट सोलर सिस्टम कितनी यूनिट बिजली बनाता है

आमतौर पर भारत के मौसम में एक 1kW सोलर सिस्टम प्रतिदिन 4 यूनिट बिजली पैदा करता है। इस आधार पर अगर आपकी जरूरत 10 यूनिट प्रतिदिन है, तो आपके लिए 3kW सोलर सिस्टम पर्याप्त होगा। इसी तरह, अगर आपकी खपत 20 यूनिट प्रतिदिन है, तो आपको लगभग 5kW से 6kW सोलर सिस्टम की जरूरत होगी।

क्या आपके पास पर्याप्त छत है?

सोलर पैनल लगाने के लिए हर किलोवाट के लिए करीब 80–100 वर्गफुट जगह की जरूरत होती है। यानी 3kW सिस्टम के लिए लगभग 300 वर्गफुट और 5kW सिस्टम के लिए लगभग 500 वर्गफुट छत की आवश्यकता होगी। अगर आपकी छत बहुत छोटी है, तो आपको हाई एफिशिएंसी मॉनो पैनल या बिफैशियल पैनल का विकल्प चुनना चाहिए जो कम जगह में ज्यादा आउटपुट देते हैं।

Grid-Tied, Off-Grid या Hybrid – कैसा सिस्टम चुनें?

अगर आपके इलाके में बिजली की कटौती कम होती है, तो Grid-Tied सोलर सिस्टम आपके लिए बेहतर रहेगा क्योंकि इसमें बैटरी की जरूरत नहीं होती और बिजली का बिल शून्य तक आ सकता है। वहीं अगर आप ग्रामीण क्षेत्र में हैं और बिजली की कटौती ज़्यादा है, तो Off-Grid या Hybrid सिस्टम लगाना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। Hybrid सिस्टम से आप बिजली बचा भी सकते हैं और बैकअप भी ले सकते हैं।

लागत और सब्सिडी का गणित

2025 में 1kW सोलर सिस्टम की औसत लागत ₹55,000 से ₹70,000 के बीच है। अगर आप 3kW सिस्टम लगवाते हैं, तो लागत ₹1.5 लाख से ₹1.8 लाख तक हो सकती है। अच्छी बात यह है कि सरकार आपको 30% से 60% तक की सब्सिडी देती है, जो सीधे आपके बैंक खाते में DBT के जरिए ट्रांसफर होती है। सब्सिडी के लिए आपको https://solarrooftop.gov.in पोर्टल पर आवेदन करना होगा।

अगर कैपेसिटी का चुनाव गलत हुआ तो?

यदि आपने जरूरत से कम कैपेसिटी वाला सिस्टम लगाया, तो आपको बिजली की पूरी जरूरत सोलर से पूरी नहीं होगी और बिजली बिल आता रहेगा। वहीं अगर आपने जरूरत से ज्यादा सिस्टम इंस्टॉल करवा लिया, तो आपकी इन्वेस्ट की गई रकम रिकवर होने में कई साल लग सकते हैं और एक्स्ट्रा बिजली व्यर्थ चली जाएगी। इसलिए सही गणना करके ही फैसला लें।

निष्कर्ष

सोलर सिस्टम इंस्टॉल करते समय सिर्फ कीमत या ऑफर को देखकर निर्णय लेना समझदारी नहीं है। सही कैपेसिटी का चयन आपके घर की बिजली जरूरत, छत की उपलब्धता और फ्यूचर एक्सपेंशन को ध्यान में रखकर करना चाहिए। एक बार सही प्लानिंग हो गई तो आने वाले 20 वर्षों तक आपको बिजली की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

डिस्क्लेमर

यह लेख सोलर एक्सपर्ट्स, MNRE गाइडलाइंस और इंस्टॉलेशन डेटा पर आधारित है। अंतिम निर्णय लेने से पहले किसी प्रमाणित सोलर डीलर या इंजीनियर से साइट विज़िट और परामर्श जरूर लें।

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